Rishikesh-Karnprayag Rail – L&T को मिला भारत की सबसे लंबी रेल लाइन टनल का कार्य

rishikesh-karnprayag rail project

उत्तराखंड राज्य में Rishikesh-Karnprayag के बीच नई ब्रॉड-गेज लाइन के पैकेज 4 का कार्य रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने भारतीय बहुप्रतिष्ठित कंपनी Larsen & Toubro ( L&T ) की विनिर्माण इकाई को सौंपा है। इस प्रोजेक्ट में भारत की सबसे लंबी TBM द्वारा खोदी जाने वाली रेल टनल के साथ-साथ अन्य निर्माण कार्य भी शामिल हैं।

परियोजना के दायरे में Rishikesh-Karnprayag के बीच चैनेज 47 + 360 से 63 + 117 किलोमीटर तक सुरंग निर्माण और अन्य सहायक कार्य का निर्माण शामिल है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन में 20 किमी. लंबी टनल बनाई जाएगी, जो भारत में TBM द्वारा खोदी जाने वाली सबसे लंबी रेल सुरंग होगी।

इस परियोजना में 14.577 किमी अपलाइन और 13.123 किलोमीटर डाउनलाइन सुरंग का निर्माण शामिल है। सुरंग की गोलाई 9.1 मीटर व्यास होगी। इस कार्य मे दो नई हार्ड रॉक टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग करके 10.49 किमी अपलाइन खुदाई और 10.317 किलोमीटर डाउनलाइन सुरंग बनाने का कार्य किया जाएगा। और बाकी बचा हुआ कार्य न्यू ऑस्ट्रियन टनल विधि (NATM) द्वारा किया जाएगा।

सुरंग के दोनों तरफ क्रॉस-सेक्शन में 32 मीटर की गहराई वाले 79 वर्ग मीटर के एलीपोसाइडल सह वेंटिलेशन शाफ्ट का निर्माण शामिल है। यह TBM मशीन भारत के किसी भी हिमालयी क्षेत्र में तैनात की जाने वाली सबसे बड़ी मशीन होगी। इस पूरी परियोजना को 60 महीने के समय के भीतर पूरा किया जाना है।

Rishikesh-Karnprayag रेल लाइन से फायदा

ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच रेल लिंक स्थापित होने से न केवल उत्तराखंड के तीर्थ स्थलों तक पहुंचने में आसानी होगी, बल्कि सीमांत क्षेत्रों का विकास भी हो सकेगा। रेल कनेक्टिविटी होने से इन इलाकों को व्यापार के नए आयाम मिलेंगे और स्थानीय निवासियों के लिए सरलता होगी।

L&T पहले से ही इस प्रतिष्ठित परियोजना के पैकेज 2 का निर्माण कर रही है, जिसमें NATM द्वारा 24 किलोमीटर टनलिंग, मामूली पुल और निर्माण कार्य शामिल हैं।

Larsen & Toubro एक भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी है, जो राजस्व में 21 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण परियोजनाओं, विनिर्माण, रक्षा और सेवाओं से जुड़ी है। यह दुनिया भर में 30 से अधिक देशों में कार्य कर रही है।

यह भी पढ़ें: पर्यटको के आकर्षण का केंद्र बन चुके टिहरी के डोबरा-चांठी पुल के पीछे है स्थानीय ग्रामीणों का दशकों का संघर्ष

Facebook
Twitter
LinkedIn
Sam Manekshaw: 1971 युद्ध के महानायक और इनके परिवार की कहानी 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले नए Traffic Rules 1 अप्रैल 2025 से बदल जाएंगे ये नियम, जानें आपके लिए क्या है जरूरी 1 अप्रैल 2025 से महंगे होंगे ये सामान सबसे ज्यादा Mileage देने वाली Top 6 Bikes