द्वितीय केदार ‘मध्यमहेश्वर’ धाम के कपाट सोमवार दोपहर 12 बजे पूरे विधि विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खोल दिए गए। कोरोना वायरस लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए इस बार कपाट खुलने के समय सीमित संख्या में लोग मौजूद रहे।

द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली 9 मई को अपने शीतकालीन प्रवास पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से अपने धाम के लिए रवाना हो हुई थी। डोली को वाहन के द्वारा रात्रि विश्राम के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी गांव पहुंचाया गया था। जिसके बाद दूसरे दिन डोली अपने दूसरे पड़ाव गौंडार गांव पहुंची।

सोमवार, 11 मई की सुबह डोली गौंडार से अपने परम धाम मध्यमहेश्वर के लिए रवाना हुई। इसके बाद पारंपरिक विधि विधान के साथ द्वितीय केदार के कपाट खोल दिए गए। अब अगले छह महीनों तक बाबा की पूजा यहीं होगी।

आपको बता दें कि ‘द्वितीय केदार मद्महेश्वर’ मंदिर 11,473 फीट की ऊंचाई पर चौखंभा शिखर की तलहटी में स्थित है। यहां भगवान शिव के नाभि या मध्य भाग की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यहां का जल पवित्र है। इसकी कुछ बूंदें ही मोक्ष के लिए पर्याप्त हैं। शीतकाल में छह महीने के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। कपाट बंद होने पर बाबा मध्यमहेश्वर की पूजा पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में की जाती है।