Rishikesh-Karnaprayag Railway: केंद्रीय बजट में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में वर्ष 2021-22 के लिये 4200 करोड़ का परिव्यय प्रस्तावित किया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बजट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन व रेल मंत्री पीयूष गोयल का आभार व्यक्त किया।
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इस विषय पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और केन्द्र सरकार के सहयोग से उत्तराखण्ड में इन वर्षों में कनेक्टीवीटी के क्षेत्र में बहुत तेजी से काम हुआ है। उन्होंने कहा कि पहाड़ में रेल का सपना जल्द ही साकार होने जा रहा है।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट में अभी तक न्यू ऋषिकेश स्टेशन तैयार हो चुका है और यहां से ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो चुका है। इसके अलावा वीरभद्र-न्यू ऋषिकेश ब्लॉक सेक्शन का काम पूर्ण हो चुका है। ऋषिकेश में एक आरओबी और एक आरयूवी भी तैयार हो चुका है।
लछमोली व श्रीनगर में अलकनंदा नदी पर आरओबी का कार्य चल रहा है। श्रीनगर, गौचर व सिवाइ में रोड ब्रिज का कार्य भी तेजी से हो रहा है। ऋषिकेश-देवप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2023-24 और देवप्रयाग-कर्णप्रयाग ब्लॉक सेक्शन का कार्य 2024-25 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
Larsen & Toubro ( L&T ) को मिला है नई ब्रॉड-गेज लाइन का कार्य
बता दें, ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच नई ब्रॉड-गेज लाइन के पैकेज 4 के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने भारतीय बहुप्रतिष्ठित कंपनी Larsen & Toubro ( L&T ) की विनिर्माण शाखा हैवी सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर बिजनेस को सौंपा है। इस प्रोजेक्ट में भारत की सबसे लंबी TBM द्वारा खोदी जाने वाली रेल टनल के साथ-साथ अन्य निर्माण कार्य भी शामिल हैं।
परियोजना के दायरे में ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच चैनेज 47 + 360 से 63 + 117 किलोमीटर तक सुरंग निर्माण और अन्य सहायक कार्य का निर्माण शामिल है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन में 20 किमी. लंबी टनल बनाई जाएगी, जो भारत में TBM द्वारा खोदी जाने वाली सबसे लंबी रेल सुरंग होगी।
इस परियोजना में 14.577 किमी अपलाइन और 13.123 किलोमीटर डाउनलाइन सुरंग का निर्माण शामिल है। सुरंग की गोलाई 9.1 मीटर व्यास होगी। इस कार्य मे दो नई हार्ड रॉक टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग करके 10.49 किमी अपलाइन खुदाई और 10.317 किलोमीटर डाउनलाइन सुरंग बनाने का कार्य किया जाएगा। और बाकी बचा हुआ कार्य न्यू ऑस्ट्रियन टनल विधि (NATM) द्वारा किया जाएगा।
सुरंग के दोनों तरफ क्रॉस-सेक्शन में 32 मीटर की गहराई वाले 79 वर्ग मीटर के एलीपोसाइडल सह वेंटिलेशन शाफ्ट का निर्माण शामिल है। यह TBM मशीन भारत के किसी भी हिमालयी क्षेत्र में तैनात की जाने वाली सबसे बड़ी मशीन होगी। इस पूरी परियोजना को 60 महीने के समय के भीतर पूरा किया जाना है।
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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट
आपको बता दें, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग परियोजना की लंबाई 125.20 किलोमीटर है, जिसका 84.24 फीसदी भाग (105.47 किलोमीटर) भूमिगत है। इस प्रोजेक्ट में 12 स्टेशन निर्धारित हैं। शिवपुरी और ब्यासी स्टेशन का कुछ ही भाग सुरंग के अंदर और पुल के ऊपर रहेगा जबकि बाकी कुछ भाग खुला रहेगा।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग परियोजना के तहत बनने वाले 12 रेलवे स्टेशनों में से 10 स्टेशन पुलों के ऊपर और सुरंग के अंदर होंगे। निर्धारित रेलवे स्टेशनों में देवप्रयाग (सौड़), जनासू, मलेथा, तिलणी, घोलतीर, गौचर और सिंवाई (कर्णप्रयाग) स्टेशन आंशिक रुप से भूमिगत होंगे, जबकि धारी देवी (डुंगरीपंथ) स्टेशन का कुछ हिस्सा पुल के ऊपर होगा। श्रीनगर (रानीहाट-नैथाणा) स्टेशन पूरी तरह से खुले स्थान में रहेगा।
श्रीनगर (रानीहाट-नैथाणा) में होंगे 05 प्लेटफार्म
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग प्रोजेक्ट में पहाड़ में श्रीनगर (रानीहाट-नैथाणा) सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन होगा, जहाँ 2 गुड्स और 3 पैसेंजर प्लेटफार्म होंगे। पूरी परियोजना में यही एकमात्र स्थान है, जहां रेलमार्ग सबसे ज्यादा खुले स्थान में होगा।
इन सब के अलावा उत्तराखंड के चारधाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ को रेलवे सेवा से जोड़ने के लिए 4 रेलवे लाइन अलाईनमेंट पर भी कार्य किया किया जा रहा है, जिसकी लंबाई लगभग 327 किलोमीटर है।