Electricity Crisis: उत्तराखंड प्रदेश में पहली बार सितंबर के महीने में बिजली की मांग 5 करोड़ यूनिट से ऊपर पहुंच रही। जिस वजह से शहरों में बिजली की आपूर्ति को पूरी करने के चलते ग्रामीण शहरों में इसकी भारी कटौती करनी पड़ रही है। मंगलवार को भी पूरे प्रदेश में बिजली को लेकर हाहाकार मचा रहा। जिसके चलते उद्योगों में 4 से 5 घंटे कटौती शुरू कर दी गई है।
प्रदेश में बिजली की उपलब्धता की दिन प्रति दिन बढ़ती मांग के बीच कम उपलब्धता गहरा संकट खड़ा कर रही है। लगातार बढ़ रही विद्युत मांग के सापेक्ष उपलब्धता कम होने से विद्युत आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई है। उत्तराखंड में विद्युत मांग रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है, जिसे पूरा करने के लिए ऊर्जा निगम ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही छोटे शहर-कस्बों में भी बिजली की कटौती शुरू कर हाथ-पांव मार रहा है।
Electricity Crisis: प्रदेश में बढ़ी बिजली की मांग
मंगलवार 5 सितंबर को प्रदेश में बिजली की मांग 5.3 करोड़ यूनिट रिकॉर्ड की गई। इस वजह से जहां हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 2 घंटे तक बिजली की कटौती की गई, तो वहीं छोटे कस्बों मंगलौर, लक्सर, विकासनगर, डोईवाला, कोटद्वार, ज्वालापुर, बहादराबाद, ढकरानी, सेलाकुईं, रामनगर, गदरपुर व बाजपुर, सहसपुर, जसपुर, किच्छा और खटीमा में भी करीब डेढ़ से 2 घंटे बिजली की कटौती की गई।
वहीं रुड़की, काशीपुर, सितारगंज, रुद्रपुर व हल्द्वानी में करीब 1 घंटे की घोषित कटौती की गई। उधर, स्टील फर्नेश उद्योगों में भी गढ़वाल मंडल में करीब 5 घंटे और कुमाऊं मंडल में करीब 4 घंटे की बिजली कटौती हुई। व्यासी परियोजना से मंगलवार को भी दिनभर बिजली उत्पादन शुरू नहीं हो पाया, जिससे निगम को करीब 25 लाख और केंद्रीय पूल से कम बिजली मिलने से भी करीब 20 लाख यूनिट की किल्लत हुई। हालांकि, यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना है, “कि बाजार से बिजली खरीदकर आपूर्ति की जा रही है। कुछ जगहों पर घोषित कटौती की जा रही है।”