कोरोना महामारी को देश में फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 21 मार्च को 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। इस घोषणा के 48 घंटे बाद ही देश की राजधानी दिल्ली और अन्य राज्यों से ऐसी-ऐसी तस्वीरें सामने आने लगी, जिन्हें देख सभी भारतीयों को परेशान कर दिया। ऐसे ही दृश्य उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी देखने को मिला। यहाँ अन्य राज्यों से काम करने आये मजदूर और उनके परिवार बोरिया बिस्तर उठाये पैदल अपने घर जाने को मजबूर थे। भारी संख्या में मजदूर दिन भर हाइवे और रेल पटरियों पर अपने घर की ओर जाते दिखाई दिए।
हालांकि प्रशासन और सरकार इन मजदूरों और इनके परिवारों की चिंता को लेकर पहले से तैयार थी। लॉकडाउन की घोषणा के बाद देहरादून स्तिथ नकरौंदा के पूर्व उपप्रधान पारुल कुल्हान मदद के लिए आगे आए। उन्होंने मलसी पुलिया स्तिथ अपने कॉम्प्लेक्स को सरकार की सहायता योग्य समझा। इस बीच शनिवार को नजदीकी बालावाला पुलिस चौकी से करीब 40 मजदूरों को भेजा गया, जिनके रहने की व्यवस्था कॉम्प्लेक्स में की गई।
Weuttarakhand से बात करते हुए पारुल ने बताया, “जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की उस दिन मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तराखंड सरकार से आग्रह किया कि अगर संकट की घड़ी में यदि अतिरिक्त बेड लगाने य अन्य सहायता की जरूरत पड़े तो मलसीपुलिया स्तिथ मेरी बिल्डिंग का प्रयोग कर सकते हैं।”
जिसके बाद सरकार द्वारा पुलिस प्रशासन को आदेश आया कि बेसहारा लोग जिनके पास रहने को जगह नहीं है उनके लिए रहने की व्यवस्था की जय। जिसके बाद बालावाला चौकी से करीब 40 मजदूरों के रहने की व्यवस्था की कॉम्प्लेक्स में की गई। ये सभी मजदूर शाम के समय देहरादून से 450 किमी. दूर लखीमपुर खीरी(UP) पैदल जा रहे थे। रात को पुलिस प्रशासन द्वारा सभी को भोजन उपलब्ध कराया गया।
इस दौरान पारुल कुल्हान के साथ समाज सेवक राहुल राणा, पंकज जोशी, पीयूष ठाकुर, सौरभ नेगी आदि के द्वारा सभी मजदूरों के लिए अन्य आवश्यक वस्तुओं की उचित व्यवस्था कराई गई।