Uttarakhand Forest News: विकास अगर प्रकृति के बलिदान पर हो, तो वह विकास नहीं सर्वनाश है, जो वर्तमान के साथ भविष्य के लिए भी सकंट पैदा कर सकता है। एक सर्वे के हिसाब से यह खुलासा हुआ है कि पिछले डेढ़ दशक के दौरान हिमालयी राज्यों में सबसे अधिक जंगल उत्तराखंड राज्य में गैर वानिकी उपयोग यानी विकास की भेंट चढ़े। यह हम नहीं, बल्कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़े बता रहे हैं।
Uttarakhand Forest News: आपको बता दें, पिछले डेढ़ दशक के दौरान हिमालयी राज्यों में सबसे अधिक जंगल उत्तराखंड राज्य में गैर वानिकी उपयोग यानी विकास की भेंट चढ़े हैं। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 15 वर्षों में 14141 हेक्टेयर वन भूमि अन्य उपयोग के लिए ट्रांसफर की गई। अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर बाकी कोई हिमालयी राज्य उत्तराखंड के आसपास नहीं है। वहीं पड़ोसी राज्य हिमाचल में 6696 हेक्टेयर वन भूमि दूसरे उपयोग के लिए इस्तेमाल हुई। बता दें, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में जब ये आंकड़े रखे जो खुद में हैरान करने वाले हैं। साथ ही भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती है।
लोकसभा में जारी हुए आकड़ों के अनुसार, वन भूमि डाइवर्जन मामले में उत्तराखंड देश के टॉप 10 राज्यों में शामिल है। राज्य में औसतन प्रत्येक वर्ष 943 हेक्टेयर भूमि दी जा रही है। वर्ष 2008-09 से लेकर वर्ष 2022-23 के दौरान सभी राज्यों में 305945.38 हेक्टेयर भूमि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत गैर वानिकी उपयोग के लिए लाई गई।
जानिए आखिर पिछले डेढ़ दशक में किन हिमालयी राज्यों से कितनी जंगलों की भूमि विकास की भेंट चढ़ी है।
राज्य दी गई वन भूमि(हे.)
उत्तराखंड 14141
हिमाचल 6696
जम्मू और कश्मीर 423
अरुणाचल प्रदेश 12778
असम 6166
मेघालय 421
मणिपुर 3758
मिजोरम 926
त्रिपुरा 1860
वहीं हिमालयी राज्यों की तुलना में उत्तराखंड राज्य विकास के नाम पर जगलों की भूमि को दान करने में नम्बर 1 पर पहुंच गया है। जिसके बाद हिमाचल 6696 हैक्टेयर भूमि विकास के नाम देकर हिमालयी राज्यों की सूची में दूसरे नम्बर पर है। साथ ही आज भी मेघालय सबसे कम भूमि दान करने वाला राज्य है।
भविष्य के लिए चुनौती
हमारी देवभूमि अपने जंगलों, पहाड़ों और नदियों के कारण प्रचलित है। मगर यह आंकड़े चिंता में डालने वाले हैं। साथ ही भविष्य के लिए बड़ी चुनौती का भी संकेत दे रहे हैं। जंगल हमेशा ही पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं। वहीं प्रदेश हर साल आपदा और जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों का सामना कर रहा है।
कहां हुआ भूमि का उपयोग
वन विभाग की भूमि प्रदेश में हो रहे विकास कार्यों के नाम पर दी गई। जिसमें सड़क, रेलवे, पुनर्वास, शिक्षा, उद्योग, सिंचाई, ऑप्टिकल फाइबर, नहर, पेयजल, पाइपलाइन, उत्खनन, जल, ऊर्जा, सौर ऊर्जा जैसे कई नई योजनाएं शामिल हैं।