Uttarakhand Bhu Kanun: उत्तराखंड में जल्द ही सशक्त भू-कानून लागू हो जाएगा। इस दिशा में राज्य सरकार ने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, सशक्त भू-कानून के लिए गठित समिति की रिपोर्ट सरकार को मिल चुकी है। साथ ही जल्द ही कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा।
प्रदेश में सशक्त भू कानून को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि प्रदेश में सशक्त भू कानून को लेकर सरकार काम कर रही है, जिसके लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है। जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश में सशक्त भू कानून लागू किया जाएगा, क्योंकि सरकार का मुख्य उद्देश्य जन भावनाओं का सम्मान करना है।
सीएम ने कहा कि भू-कानून के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट सरकार को मिल चुकी है और उस रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। साथ ही इस रिपोर्ट के अध्ययन के बाद ही प्रदेश में सशक्त भू कानून लागू किया जाएगा। सीएम ने कहा कि प्रदेश में सरकारी और निजी भूमि पर अवैध कब्जों के मामलों को लेकर सशक्त कानून बनाया जाएगा और इस कानून के तहत सरकारी और निजी भूमि पर अतिक्रमण के मामलों में 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा।
बता दें, उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के बाद भू-कानून लागू किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बुधवार को उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने प्रदेश में भू-कानून लागू किए जाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास कूच किया। इससे पहले भी राज्य में समय-समय पर भू-कानून को लागू किए जाने की मांग उठती रही है।
क्या है भू-कानून
भू-कानून वास्तविक रूप से पहाड़ों में बाहरी लोगों अर्थात् राज्य से बाहर के लोगों की भूमि क्रय करने की सीमा का निर्धारण करता है।उत्तराखंड के युवा भी हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर अपने राज्य में भू कानून लागू करना चाहते हैं। बता दें, 1972 में हिमाचल प्रदेश में एक सख्त कानून बनाया गया। इस कानून के अंतर्गत बाहरी राज्यों के लोग हिमाचल प्रदेश में जमीन नहीं खरीद सकते। उत्तराखंड के युवा भी अपनी जंगल जमीन बाहरी व्यापारियों से बचाने के लिए प्रदेश सरकार से इस कानून की मांग कर रहे हैं।
बता दें, वर्ष 2002 में राज्य के अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखण्ड में अन्य राज्यों के लोग केवल 500 वर्ग मीटर भूमि खरीद सकते थे। लेकिन 2007 में यह सीमा घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दी गयी। इसका मतलब राज्य के बाहर से आया कोई भी व्यक्ति अधिकतम 250 वर्ग मीटर की भूमि ही प्रदेश में खरीद सकता था।
वहीं, 6 अक्टूबर 2018 को उत्तराखंड सरकार निवेश और उद्योगों को बढ़ावा देने के नाम पर एक नया अध्यादेश ले कर आयी जिसके अनुसार “उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम” 1950 में संशोधन का विधेयक पारित किया गया। इसमें धारा 143 (क) और धारा 154(2) जोड़ी गई। जिसके तहत पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को ही समाप्त कर दिया गया।