Supermom of India: नारी शक्ति की अप्रतिम हस्ताक्षर की पुण्यतिथि पर शत शत नमन

Supermom of India: नारी शक्ति की अप्रतिम हस्ताक्षर की पुण्यतिथि पर शत शत नमन

Supermom of India : पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) की आज 6 अगस्त को पुण्यतिथि पर उन्हें पूरा देश याद कर रहा है। वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं जिनको एक गौरवशाली महिला नेता के नाम से आज भी पूरे देश में बड़े सम्म्मान के साथ याद किया जाता है। प्रवासी भारतीयों की सहायता करने के लिए उन्हें सुपर मॉम ऑफ़ इंडिया (Supermom of India) भी कहा जाता है।

भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की आज 6 अगस्त को पुण्यतिथि है। विदेश मंत्री रहने के दौरान उन्होंने जो काम किया, उसके लिए आज भी उन्हें पूरे देश में याद किया जाता है। चाहे देश हो या विदेश, उन्होंने मदद मांगने वालों को कभी निराश नहीं किया यह उनके अंदर स्त्रीत्व की पहचान को दर्शाता था। उनके व्यक्तित्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विरोधी दलों के नेता भी उनके अनुगामी थे। उनके ओजस्वी भाषणों को जो एक बार सुनता, तो फिर वह सुनता ही रह जाता। उन्होंने ऐसे कई कामों को भी कर दिखाया, जिसे असंभव समझा जाता था।

14 फरवरी 1952 को अंबाला कैंट में जन्मीं सुषमा स्वराज के माता-पिता पाकिस्तान के लाहौर में धर्मपुरा नामक स्थान से थे। लेकिन बंटवारे के बाद वह अपने परिवार के साथ भारत आ गये थे। सुषमा स्वराज ने वकालत की पढ़ाई की थी। जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट में वकील भी रही। सुषमा स्वराज का विवाह स्वराज कौशल से हुआ था, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक नामित वरिष्ठ अधिवक्ता थे। वह 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। कौशल 1998 से 2004 तक संसद सदस्य भी रहे। स्वराज को उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

वैसे तो सुषमा स्वराज जी BJP के तेज तर्रार और कद्दावर नेताओं में सबसे अलग और ऊँचा स्थान रखती थी। वहीं सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व अधिवक्ता और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी रहीं। साथ ही सुषमा स्वराज, नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में भारत की विदेश मंत्री भी रह चुकी थीं। इसके अलावा उन्हें 7 बार संसद सदस्य के रूप में और 3 बार विधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया था।

Supermom of India: प्रखर प्रवक्ता से जुड़े कुछ ख़ास तत्थ –

  • सुषमा स्वराज का राजनीतिक जीवन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू हुआ।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय के नामित वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल स्वराज के साथ 13 जुलाई 1975 में उन्होंने प्रेम विवाह किया था।
  • सुषमा स्वराज अपने गृह क्षेत्र में कभी लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाईं।
  • उन्होंने तीन बार चुनाव लड़ा, लेकिन हर बार उन्हें चिरंजी लाल से शिकस्त का सामना करना पड़ा।
  • वह 25 साल की कम आयु में हरियाणा की कैबिनेट मंत्री बनीं।
  • 13 अक्टूबर 1998 को वह दिल्ली की पांचवीं और पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
  • सुषमा स्वराज की वजह से 15 साल पहले सरहद पार कर पाकिस्तान पहुंची गीता को वापस भारत लाया गया।
  • उन्हें 7 बार संसद और तीन बार विधान परिषद का सदस्य चुना गया।
  • उन्हें भारत की किसी भी राजनीति दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने का सौभाग्य मिला।
  • उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।
  • सुषम स्वराज की याददाश्त कमाल की थी। वे जिस किसी भी क्षेत्र में जातीं, वहां के कार्यकर्ताओं का नाम उन्हें याद हो जाता।
  • सुषमा स्वराज को वाशिंगटन पोस्ट ने सुपर मॉमआफ इंडिया दिया । इसका कारण यह है कि उन्होंने विदेश मंत्री के रूप में अपने पांच साल के कार्यकाल के दौारन 186 देशों में फंसे 90 हजार से अधिक भारतीयों की मदद की थी।

बता दें, इस नारी शक्ति की अप्रतिम हस्ताक्षर, कुशल संगठनकर्ता और प्रखर वक्ता का आख़िरी ट्वीट उनके निधन के कुछ घंटे पहले का है, जो हमेशा के लिए अजय अमर हो गया। उन्होंने अपने आखरी ट्वीट में जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था, “प्रधान मंत्री जी – आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी। @narendramodi ji – Thank you Prime Minister. Thank you very much. I was waiting to see this day in my lifetime”

उनका ये ट्वीट आख़िरी रहा और इसके बाद आदरणीय सुषमा स्वराज जी का निधन 6 अगस्त 2019 को दिल्ली के AIIMS में हुआ। आज के दिन भारत ने श्रीमती सुषमा स्वराज जी को नहीं बल्कि भारत के अमूल्य रत्न को खो दिया।

सुषमा स्वराज देश की उन चुनिंदा मंत्रियों में से थीं, जिनकी पहचान उनकी पार्टी से नहीं बल्कि उनके सफल राजनितिक करियर में किए गए कामों के जरिए से होती थी। बता दें, सुषमा स्वराज के अंतिम समय तक उन्होंने अपने कामों से देश की राजनीति और अपनी पार्टी में एक अलग जगह बनाई हुई थी। देश कि प्रिय जननायिका भले ही देह से आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन वे सदैव ही हमारे स्मृति पटल में सजीव रहेंगी और हमें हमेशा कि तरह आलोकित करती रहेंगी।

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