आज चतुर्थ केदार रुद्रनाथ महादेव के कपाट 18 मई को ब्रह्ममुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चारण और पारंपरिक विधि विधान के साथ खोल दिए गए। कपाटोद्घाटन के अवसर पर मंदिर में पुजारी समेत 20 लोग उचित सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए मौजूद रहे। हालांकि इस बार कपाट खुलने के दौरान श्रद्धालु भगवान रुद्रनाथ के दर्शन नहीं कर पाए।
कपाटोद्घाटन का ये रहा कार्यक्रम:
शनिवार को रुद्रनाथ महादेव की डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर से अपने परम धाम के लिए रवाना हो गई थी। इस दिन डोली ग्वाड़ और सगर गांव होते हुए रात्रि प्रवास के लिए पनार बुग्याल पहुंची। रविवार को डोली पनार बुग्याल से रुद्रनाथ पहुंची। जहां 18 मई की सुबह पूरे विधि विधान के साथ कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए।
जिला प्रशासन द्वारा देशव्यापी कोरोना वायरस लॉकडाउन को मद्देनजर रखते हुए इस कपाट खुलने के समय पुजारी समेत 20 लोगों को ही मौजूद रहने की अनुमति दी गई।।
20 मई को खुलेंगे तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट
विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव को समर्पित तुंगनाथ मंदिर के कपाट 20 मई को खोले जाएंगे।आज सोमवार को तृतीया केदार भगवान तुंगनाथ की डोली शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ से प्रस्थान करेगी। आज रात्रि विश्राम भूतनाथ मंदिर में होगा। भगवान की डोली 19 को चोपता पहुंचेगी जबकि 20 मई को तुंगनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे।
आपको बता दें कि 15 मई को ब्रह्ममुहूर्त में श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए। कपाट खुलने के दौरान रावल नंबूदरी, बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी और पुजारी समेत लगभग 30 लोग सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए उपस्थित रहे।
इससे पहले 26 अप्रैल को मां गंगा-यमुना के परम धाम गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट पूरे विधि विधान के साथ खोले गए थे। 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट भी प्रातः 6 बजकर 30 मिनट पर ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए थे।
11 मई को द्वितीय केदार मध्यमहेश्वर के कपाट भी पूरे विधि विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खोल दिए गए। कोरोना वायरस लॉकडाउन के मद्देनजर इस बार कपाट खुलने के समय सीमित संख्या में लोग मौजूद रहे।