Makar Sankranti 2021: हर साल मकर संक्रांति का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। ऐसे में इस साल यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाने वाला है। आप सभी जानते ही होंगे कि इस दिन खिचड़ी का दान करना चाहिए क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
वैसे इस दिन खिचड़ी खाने का भी अपना ही एक अलग महत्व है। इस त्यौहार को कई जगह पर लोग खिचड़ी के नाम से भी जानते है। वैसे आज हम आपको बताने जा रहे हैं मकर संक्रांति पर खिचड़ी दान और खाने की परंपरा का इतिहास। जी हाँ, हम आपको बताएंगे कैसे शुरू हुई थी खिचड़ी खाने की परंपरा। इस परम्परा को लेकर गुरू गोरखनाथ की एक कहानी बहुत प्रचलित है।
Makar Sankranti 2021: उस दौरान एक दिन बाबा गोरखनाथ ने उनकी समस्या
कहते हैं जब खिलजी ने देश पर आक्रमण किया तो चारों तरफ लगातार संघर्ष चल रहा था। उस दौरान योगी मुनियों को अपनी जमीनों को बचाने के लिए बहुत लड़ाइयां लड़नी पड़ी थी। इस लड़ाई के चलते कई बार लोग भूखे ही रह जाते थे। उस दौरान एक दिन बाबा गोरखनाथ ने उनकी समस्या को हल करने के लिए काली उड़द की दाल में चावल, घी और कुछ सब्जियां डालकर पका दिया ताकि उनका पेट भी भर जाए और इसे बनाने में ज्यादा समय भी ना लगे। जब यह बनकर तैयार हुई तो सबको बहुत पसंद आयी और इससे योगियों को आसानी से भूख मिटाने का रास्ता भी मिल गया।
इस व्यंजन को बाबा गोरखनाथ ने खिचड़ी का नाम दिया और जिस दिन इसे पहली बार तैयार किया गया था, उस दिन मकर संक्रांति का दिन था। कहा जाता है बाद में वो योगी खिलजी के आतंक को दूर करने में भी सफल रहे और इसके बाद से तमाम जगहों पर मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा शुरू हो गई।