ISRO Scientist: भारत के मून मिशन यानी ‘चंद्रयान-3’ (Chandrayaan-3) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की वैज्ञानिक ‘वलारमथी’ (Valarmathi) का हार्ट अटैक के कारण रविवार शाम निधन हो गया।
‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) ने एक अहम वैज्ञानिक खो दिया है। दरअसल, भारत के चंद्र मिशन यानी कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग पर उलटी गिनती में अपनी आवाज देने वाली (ISRO) की वैज्ञानिक ‘वलारमथी’ का हार्ट अटैक के कारण रविवार शाम को निधन हो गया। बता दें, लंबे समय से बिमारी के चलते उन्होंने राजधानी चेन्नई में अंतिम सांस ली। उनके निधन से ISRO के वैज्ञानिकों में शोक की लहर दौड़ गई ।
मिली जानकारी के अनुसार, वलारमथी आंध्रप्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर में रेंज ऑपरेशंस प्रोग्राम कार्यालय के हिस्से के रूप में पिछले 6 वर्षो से सभी लॉन्चों के लिए काउंटडाउन कर रही थीं। हालांकि वह पिछले कुछ समय से बीमार थीं, जिसके बाद बीती शाम राविवार 3 सितंबर को उन्होंने 50 की उम्र में चेन्नई के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांसे ली। वैज्ञानिक वलारमथी की आखिरी आवाज आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च हुए चंद्रयान 3 में हमेशा के लिए अमर हो गई।
चंद्रयान 3 की टीम में शामिल थी वलारमथी
चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चांद की सतह पर सुरक्षित उतरा था, जिससे विश्व में भारत के नाम एक बड़ी उपलब्धि जुड़ गई। चांद पर अपने मिशन को सफल बनाने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बना, वहीं साउथ पोल पर लैंडिंग कराने वाला विश्व का इकलौता देश बना। भारत को इस अनोखे गौरव से गौरवांतित करने वाले ISRO के वैज्ञानिकों की टीम में वलारमथी भी शामिल थी।
वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पहले प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि, चंद्रयान -3 मिशन से जुड़ी टीम विक्रम लैंडर और रोवर को विश्राम देने की प्रक्रिया में है। ISRO प्रमुख ने आज भारत के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट आदित्य एल 1 को सफलतापूर्वक पृथ्वी की इच्छित कक्षा में स्थापित किये जाने के बाद श्रीहरिकोटा में ISRO वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा ‘‘ हम दोनों (विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर) को विश्राम देने की प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं। लैंडर के भीतर रखकर भेजे गये रोवर ने सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर कदम रखने के बाद 100 मीटर तक चहलकदमी की है। लैंडर को चंद्रमा पर शिवशक्ति बिंदु पर उतारे जाने के बाद इस हिस्से पर अंधेरा होने से पहले कुछ दिनों का काम और बाकी है। विक्रम और प्रज्ञान अंधेरे में रहते हुए अपने सौर पैनलों को बिजली बनाने से रोक देंगे और अगर 14 दिन बाद भी वह काम कर पाये तो यह बोनस होगा।