Rohtang Pass: लॉकडाउन के बीच 3 हफ्ते पहले ही खोला गया रोहतांग पास, जानिए क्यों था जरूरी

Rohtang Pass Opens Three Weeks Ahead Of Schedule

Rohtang Pass: हिमाचल के लाहौल स्पीति जिलों को भारत के शेष हिस्सों से जोड़ने वाले 13,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा वाहनों की आवाजाही के लिए पूर्व निश्चित समय से 3 हफ्ते पहले खुल गया है। यह दर्रा साल में लगभग 6 महीने तक भारी बर्फबारी के कारण बंद रहता है, जिससे लाहौल क्षेत्र के लोगों का संपर्क बाकी देश से कट जाता है।

1 महीने से अधिक समय से चल रहे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच इस दर्रे (Rohtang Pass) का खुलना क्षेत्र के लोगों के लिए राहत की खबर लेकर आया है। इस दर्रे को खोलने के कार्य में तेजी लाने के लिए हिमाचल सरकार ने सीमा सड़क संगठन (BRO) से आग्रह किया था। रोहतांग के खुल जाने से हिमाचल सरकार लाहौल घाटी में राहत सामग्री तथा आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने के कार्य में तेजी ला सकती है। इसके अलावा फसलों की कटाई के लिए किसानों की वापसी में भी आसानी होगी।

Rohtang Pass: पीछे साल 18 मई को खोला गया था

रक्षा मंत्रालय के द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार पिछले वर्ष इस तरह को 18 मई में खोला गया था परंतु इस वर्ष इस दर्रे को 25 अप्रैल को ही खोल दिया गया है।

“बीआरओ ने इस कार्य के लिए मनाली और खोकसार दोनों तरफ से उच्च तकनीक वाली मशीनरी लगाई थीं। रहाला झरना, बीस नाला और रानी नाला में बर्फीले तूफान, जमा देने वाला तापमान और नियमित अंतराल पर होने वाले हिमस्खलन के चलते परिचालन में देरी हुई, लेकिन लाहौल घाटी के नागरिकों तक राहत पहुंचाने के लिए कोविड-19 से बर्फ की सफाई करने वाले दल दिन और रात काम में लगी रहीं। इस दौरान उन्होंने कोविड-19 से जुड़ी सभी सावधानियां भी बरतीं। राष्ट्रीय मंत्रालय ने अपने वक्तव्य में कहा इस दर्रे के खुलने से केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए स्थानीय आबादी तक राहत सामग्रियां और चिकित्सा सामान पहुंचाना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही कृषि गतिविधियां भी फिर से चालू हो सकेंगी, जो जिले की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ के समान हैं।

Rohtang Pass: छः महीने बर्फ से ढका रहता है

दर्रे को खोलने के लिए बर्फ की सफाई का काम हर साल किया जाता है, क्योंकि हर साल नवंबर से मई के मध्य तक लगभग छह महीने तक रोहतांग दर्रा बर्फ से पटा रहता है। यह 12 दिसंबर, 2019 तक खुला रहा था। पूरी घाटी सर्दियों के दौरान किसी भी तरह की ढुलाई/ आपूर्तियों के लिए हवाई माध्यम पर निर्भर रहती है।

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