NHFS: मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए दो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS) के पांच साल के अंतराल में 13.5 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर आये हैं। वहीं गरीबों की संख्या में 14.96 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि अकेले उत्तराखंड में बहुआयामी गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 17.67 प्रतिशत से गिरकर 9.67 प्रतिशत हो गई है।
कांग्रेस सरकार में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था। जिसका संकल्प अब पूरा होता नजर आ रहा है। बता दें सोमवार (17 जुलाई, 2023) को नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने “राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांकः एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023” की रिपोर्ट जारी की। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार के कार्यकाल में दो नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे हुए। जिनसे पता चला कि 2015-16 और 2019-20 के बीच देश में गरीबों की संख्या करीब 24.85 प्रतिशत थी, जो अब घटकर करीब 14.96 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यानि कुल 9.89 प्रतिशत की शानदार गिरावट सामने आई है।
India records a dramatic decline in #poverty headcount ratio from 24.85% to 14.96% in past 5️⃣ years.
— NITI Aayog (@NITIAayog) July 17, 2023
UP, Bihar, and MP have recorded steepest decline in number of #MPI poor. #Amritkaal #ViksitBharat #DeshBadalRahaHai
#PovertyDecline #MPI pic.twitter.com/mKYHqeHVWr
शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में गरीबी के प्रतिशत में गिरावट आई है। 2015-16 और 2019-20 के दौरान शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत हो गई, इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी काफी तेजी से 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है । वहीं यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में सबसे ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं।
🌟🇮🇳 India achieves outstanding progress in poverty reduction! #MPI value is nearly halved from 0.117 in 2015-16 to 0.066 in 2019-21. 📉✨ Ground results reflect Hon'ble PM's vision of 'Sabka Saath Sabka Vikas Sabka Vishwas Sabka Prayas'. All 12 indicators indicate substantial… pic.twitter.com/882hq0iGY0
— NITI Aayog (@NITIAayog) July 17, 2023
वहीं अकेले उत्तराखंड की गरीबी के बात करी जाए तो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 और 2019-21 के बीच उत्तराखंड में बहुआयामी गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 17.67 प्रतिशत से गिरकर 9.67 प्रतिशत हो गई है। इस तरह कुल आठ प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है।
जिलों में गरीबी का घटनाक्रम
अल्मोड़ा – 16.18 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से बाहर हुए।
उत्तरकाशी -14.74 प्रतिशत
चंपावत- 12.82
बागेश्वर – 12.49
ऊधमसिंह नगर – 11.72
टिहरी गढ़वाल – 11.60 प्रतिशत,
चमोली – 9.96 प्रतिशत
रुद्रप्रयाग – 8.77 प्रतिशत
हरिद्वार – 8.41 प्रतिशत,
पिथौरागढ़ – 7.48 प्रतिशत
देहरादून – 3.86 प्रतिशत,
नैनीताल – 3.31 प्रतिशत
पौड़ी गढ़वाल – 3.01 प्रतिशत
यानि की कुल मिलाकर अल्मोड़ा जिले में सबसे अधिक 16.18 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से बाहर हुए, जबकि सबसे कम पौड़ी गढ़वाल – 3.01 प्रतिशत हुए। वहीं गरीबी को कम करने में अहम भूमिका पोषण में सुधार, स्कूली शिक्षा, स्वच्छता, खान पकाने के ईंधन की सुलभता, बिजली, आवास, परिसंपत्ति, बैंक खाते, बाल एवं मातृ मृत्यु दर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होने की वजह से आई है।