माँ अपना पूरा जीवन निस्वार्थ भाव के अपने बच्चों के लिए समर्पित कर देती है। बच्चों की खुशी के लिए वे बड़ी से बड़ी चुनोतियों का हंसकर सामना कर लेती हैं। इसी वजह से भारत समेत दुनिया के कई देशों में ‘मदर्स डे’ मनाया जाता है। हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है, इस बार यह दिन 10 मई को है। इस खास दिन पर हम आपको ऐसी ही एक कहानी बताने जा रहें कि कैसे मां के आशीर्वाद और समर्पण से एक पंचर लगाने वाला अफसर बना।
IAS वरुण बरनवाल का बचपन गरीबी और चुनोतियों से भरा रहा। महाराष्ट्र के पालघर जिले में पैदा हुए वरुण के पिता साइकिल का पंक्चर और रिपेरिंग का काम किया करते थे। वरुण की दसवीं की परीक्षा के तीन दिन बाद ही उनके पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई। पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया।
इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वे खुद पिता की साइकिल की दुकान पर काम करने लगे। उन्होंने दसवीं के रिजल्ट में टॉप किया। अपनी आगे की पढ़ाई के बारे में चिंतित वरुण को उनकी मां ने समझाया ‘तुम्हारे पिता की मौत हो गई तो क्या हुआ, मैं हूं ना। तुम पढ़ाई जारी रखो। हम सब काम करेंगे।’
वरुण ने अपनी मां की बात को माना और पढ़ाई में जुट गया। मां ने जैसे तैसे वरुण की इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए 1 लाख रुपये का भी इंतजाम किया और समय समय पर उनकी आर्थिक सहायता भी करती रही। मां और प्रियजनों के प्यार के नतीजन वरुण बरनवाल ने साल 2013 में यूपीएससी परीक्षा में 32वीं रैंक हासिल की। आज वे एक IAS अधिकारी के पद पर तैनात हैं।