जानिए कहानी भीम शिला की जिसने भीषण आपदा से केदारनाथ मंदिर की रक्षा की..!!

The story of Bhima Shila who protected Kedarnath temple

Bhima Shila: केदारनाथ धाम हर साल लाखों की संख्या में श्रद्घालु आते हैं। इस धाम के प्रति लोगों की अटूट श्रृद्घा है, लेकिन जून 2013 में यहां आए भयंकर बाढ़ और भूस्‍खलन के बाद मंदिर के ठीक पीछे स्थित एक चट्टान के प्रति भी लोगों की श्रद्घा बढ़ गई, और लोग इसकी भी पूजा करने लग गए | आइए जानते हैं कि आखिर कैसे होने लगी एक चट्टान की पूजा ।

मंदाकिनी घाटी में 16-17 जून 2013 का दिन शायद ही किसी के जहन से कभी निकलेगा। बादल फटने के कारण केदारनाथ मंदिर से 5 किलोमीटर ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर के पास एक झील बन गई थी जिसके टूटने से उसका सारा पानी मलबे के साथ तेजी से नीचे आने लग गया था। यह बिल्कुल जल प्रलय जैसा ही दृश्य था।

उस रात यह महाप्रलय मंदिर सहित सब कुछ निगल लेता अगर एक चमत्कार नहीं होता। महादेव की कृपा महादेव ही जाने मगर मंदिर, शिवलिंग व मंदिर में शरण लिए 500 लोगों के लिए वह चमत्कार ही था। जब मलबे के साथ नीचे आ रही एक विशालकाय डमरूनुमा चट्टान अचानक मंदिर के पीछे करीब 50 फुट की दूरी पर रुक गई। मंदिर के ठीक पीछे स्थित उस चट्टान को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे उसे वहाँ किसे ने रोक दिया हो।

Bhima shila: चट्टान के कारण बाढ़ का तेज पानी दो भागों में कट गया

उस चट्टान के कारण बाढ़ का तेज पानी दो भागों में कट गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया। महाविनाश की उस आपदा ने केदारघाटी में सब कुछ उजाड़ कर रख दिया लेकिन चट्टान ने मंदिर को ज्यों का त्यों खड़ा रखा। प्रलय के समय पत्थर की इस शिला ने बाढ़ के पानी तथा उसके साथ आने वाले बड़े-बड़े पत्थरों को रोककर केदारनाथ मंदिर की रक्षा की थी।

स्थानीय लोगों के अनुसार केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था। उस रात भी मंदिर को बचाने के लिए महाबली भीम ने अपनी गदा को चट्टान के रूप में मंदिर के पीछे स्थापित कर दिया था। इसी कारण उस रात मंदिर और उसके अंदर शरण लिए लोगों को बचाने वाली इस चमत्कारी चट्टान को लोग भीम शिला (Bhim Shila) कहने लगे।

भीम शिला (Bhim Sihila) की चौड़ाई लगभग मंदिर की चौड़ाई के बराबर है, जो अपने आप में एक अद्भुत बात है। आज उस घटना को 8 साल हो चुके हैं, लेकिन मंदिर के पीछे आदि गुरु शंकराचार्य की समाधी के पास स्थित इस शिला का रहस्य आज भी बरकरार है, कि मंदिर की चौड़ाई के बराबर यह शिला आई कहां से और कैसे यह अचानक मंदिर के कुछ दूरी पर ही रुक गई?

जो भी हो उस रात तारनहार बनी भीम शिला ने ना केवल मंदिर की रक्षा की बल्कि बाबा केदार पर लोगों की असीम आस्था और श्रद्धा को भी जिंदा रखा। यह कारण है कि आज यह शिला लोगों की आस्था का केन्द्र बन गयी है और लोग बाबा केदार का एक चमत्कार समझकर इसकी पूजा करते हैं।

Written By: Akhilesh Rawat

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