Kedarnath Dham :आज प्रातः 6 बजकर 10 मिनट पर केदारनाथ धाम के कपाट पूरे विधि विधान के साथ खोल दिए गए हैं। कपाट खुलने के समय धाम में पुजारी समेत 16 लोग उपस्थित थे। कपाट खोलने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा गया है। हालांकि, इस बार श्रद्धालुओं के जलसे के बिना ही बाबा केदार के कपाट खोले दिए गए हैं।
Kedarnath Dham: केदारनाथ से पहले होती है इनकी पूजा
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जहां जहां शिव भगवान के मंदिर हैं, वहां पर काल भैरव जी के मंदिर भी स्थित होते हैं। माना जाता है कि जब तक भैरव के दर्शन ना कर लिया जाए, तब तक भगवान शिव के दर्शन भी अधूरे माने जाते हैं।
फिर चाहे काशी के बाबा विश्वनाथ हों या उज्जैन के बाबा महाकाल। दोनों ही स्थानों पर काल भैरव के मंदिर स्थित हैं और भक्त भगवान महादेव के दर्शन के बाद इन दोनों स्थानों पर आकर सर झुकाते हैं तब उनकी तीर्थ यात्रा पूरी मानी जाती है । वहीं केदारनाथ धाम में भी भगवान भैरव का एक ऐसा ही मंदिर है जहां केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले भैरव के इस मंदिर में पूजा पाठ की जाती है ।
केदारनाथ कपाट खुलने से पहले होती है इनकी पूजा, इस क्षेत्र का ‘ क्षेत्रपाल’ ( उस भूमि के देवता) माना जाता है। बाबा केदार की पूजा से पहले केदारनाथ भुकुंट बाबा की पूजा किए जाने का विधान है और उसके बाद विधिविधान से केदानाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। ‘भुकुंट बाबा’ को केदारनाथ का पहला रावल माना जाता है।
बिना छत के है भैरव भुकुंट बाबा का मंदिर
केदारनाथ धाम से आधा किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित है भैरव का ये मंदिर। यहां बाबा भैरव की मूर्तियां हैं जो बिना छत के ही स्थापित की गई है। धाम के पुजारियों के अनुसार हर साल कपाट खोले जाने से पहले मंगलवार और शनिवार के दिन बाबा भैरव की पूजा की जाती है। यहां शीतकाल में केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा भुकुंट भैरव के भरोसे ही रहती है।
केदारनाथ की डोली दूसरी बार गाड़ी से पहुंची
बाबा केदारनाथ की डोली को उखीमठ से गौरीकुंड तक गाड़ी से लाया गया। यह दूसरा मौका था जब डोली को आधे से ज्यादा रास्ते गाड़ी में लाया गया। इससे पहले देश में इमरजेंसी के वक्त ऐसा किया गया था।
चारधाम यात्रा तय नहीं
कोरोना की वजह से देशभर में जारी लॉकडाउन का असर चारधाम यात्रा पर भी देखने को मिलेगा। यात्रा होगी या नहीं, इस पर फैसला अब तक नहीं हो सका है। वहीं कपाट के खुलने को लेकर भी विवाद था और सरकार ने कपाट खुलने की तिथि को आगे बढ़ाने को भी कहा था। लेकिन रावल और हकहकूकधारियों की एक बैठक में पहले से तय तारीख पर ही पट खोलने का फैसला लिया गया। वहीं, बद्रीनाथ के कपाट पहले जहां 30 अप्रैल को खुलने थे, जिसे सरकार द्वारा अब बदलकर 15 मई कर दिया गया है।