‘जिंदगी में पहली बार कॉपी-पेंसिल पकड़ी’ इस जिले में कोरोना राहत कैम्प में मजदूरों को पढ़ना-लिखना और योग सिखाया जा रहा है..

Champawat district administration help quarantine Labourers in learning and writing in corona relief camps

देशभर में कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन है, लोग घरों से बाहर नहीं निकल सकते हैं। ऐसे में लोग घर में बैठे-बैठे हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रह सकें। लेकिन वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन की वजह से कई मजदूर और अन्य लोग अपने घर नहीं पहुंच सके और दूसरे राज्यों के राहत शिविरों में ही फंस कर रह गए हैं। इस मुश्किल घड़ी में इन लोगों के लिए मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना भी बहुत जरूरी है, ये बात सुनिश्चित करने के लिए उत्तराखंड के चम्पावत जिले ने सराहनीय कदम उठाया है। यहां राहत शिविरों में लोगों को खाली समय में पढ़ना-लिखना और योगा सिखाया जा रहा हैं।

चम्पावत जिले के टनकपुर क्षेत्र में एक स्कूल को कोरोना राहत शिविर में बदला गया है। यहां नेपाल और भारत के कई नागरिकों को रखा गया है। दिलचस्प बात है कि यहां सरकारी स्कूल के शिक्षक मजदूरों को पढ़ना-लिखना सिखा रहे हैं। जो मजदूर कभी गरीबी के कारण कभी पढ़-लिख नहीं सके जिंदगी ने उन्हें यहां फिर एक मौका दिया है। हाथ में कागज पेंसिल पकड़कर वे आज अपना नाम लिखना सीख रहे हैं।

नेपाल के कैलाली जिले के रहने वाले 55 वर्षीय प्रताप बोरा लॉकडाउन की वजह से वापस अपने घर नहीं लौट पाए। प्रशासन ने उन्हें टनकपुर के एक राहत शिविर में बाकी प्रवासियों के साथ रखा। शिविर में शिक्षकों द्वारा पढ़ाए-लिखाए जाने पर उनका कहना है, ‘मैंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी हाथ में कॉपी-पेंसिल नहीं पकड़ी। ये पहली बार है कि मैंने कुछ लिखना सीखा है। अब मैं हिंदी में अपने दस्तखत भी कर सकता हूं।” हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बोरा अब अपने नाम के साथ अपने गांव का नाम भी लिख लेते हैं। बोरा की तरह राहत शिविर में कई मजदूर हैं जो अब पढ़ना-लिखना सीख रहे हैं।

चम्पावत के टनकपुर राहत केंद्र की प्रभारी और सीनियर टीचर प्रेमा ठाकुर मीडिया को बताती हैं, ‘टनकपुर इलाके में एक स्कूल को राहत केंद्र बनाया गया है। जहां 48 भारतीय और नेपाली नागरिकों को क्वारंटाइन में रखा गया है। इन लोगों को इस दौरान व्यस्त रखने और मानसिक तनाव को कम करने के लिए यहां पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ योग और ध्यान की कक्षाएं भी चलाई जा रही हैं।’

चम्पावत के DM एसएन पांडे का कहना है कि ये अनूठी पहल अबतक सिर्फ हमारे जिले में की गई है। हमने टनकपुर, बनबसा, लोहाघाट और चम्पावत में ऐसे 10 सेंटर बनाए हैं।’

चम्पावत जिले की इस अनूठी पहल को WeUttarakhand का सैल्युट।

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