Rahul gandhi : कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के प्रयासों और लॉकडाउन के कारण देश में उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की। पीएम मोदी द्वारा 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की हालिया घोषणा पर राहुल गांधी ने कहा कि जब बच्चा रोता है, तो मां उसे कर्ज नहीं देती है, उसे इलाज देती है।
सड़क पर रहने वाले प्रवासी मजदूरों को कर्ज की जरूरत नहीं है, उन्हें पैसे की जरूरत है । इसलिए सरकार को साहूकार की तरह काम नहीं करना चाहिए।
इस दौरान एक पत्रकार ने राहुल गांधी से सवाल किया, अगर आप इस समय प्रधानमंत्री होते तो क्या करते। इस सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री नहीं हूं। इसलिए, मैं एक काल्पनिक स्थिति के बारे में बात नहीं कर सकता। लेकिन विपक्ष के नेता के रूप में, वह कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति घर छोड़कर काम की तलाश में दूसरे राज्यों में जाता है। इसलिए सरकार को रोजगार के मुद्दे पर एक राष्ट्रीय रणनीति तैयार करनी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा, मेरा अनुरोध है कि नरेंद्र मोदी जी को पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसानों और मजदूरों को सीधे पैसा देने के बारे में सोचें। मैंने सुना है कि पैसे नहीं देने का कारण रेटिंग है। कहा जा रहा है कि अगर वित्तीय घाटा बढ़ता है, तो बाहर की एजेंसियां हमारे देश की रेटिंग को कम कर देंगी। हमारी रेटिंग मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों से बनती है। इसलिए रेटिंग के बारे में न सोचें, उन्हें पैसे दें। आप न्याय जैसी योजना लागू कर सकते हैं। आप इसे दूसरा नाम दे सकते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा, मैं विनती करता हूं कि नरेंद्र मोदी जी को पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसानों और मजदूरों को सीधे पैसे देने के बारे में सोचिए। मैंने सुना है कि पैसे नहीं देने का कारण रेटिंग है। कहा जा रहा है कि वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा तो बाहर की एजेंसियां हमारे देश की रेटिंग कम कर देंगी। हमारी रेटिंग मजदूर, किसान, छोटे कारोबारी बनाते हैं। इसलिए रेटिंग के बारे में मत सोचिए, उन्हें पैसा दीजिए। आप न्याय जैसी योजना लागू कर सकते हैं। आप इसे कोई और नाम दे सकते हैं।