Lockdown : स्वतंत्र भारत में रहने के बाद भी, 350 लोग अभी भी पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में दत्तपुलिया के अंतर्गत झोरापाड़ा गांव में दूसरों पर निर्भर हैं।एक तरफ उन्हें बांग्लादेशी अपराधियों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है तो वहीं दूसरी तरफ गश्त करते बीएसएफ जवानों के कदमों की आवाज उन्हें डराती है।
इस गाँव में रहने वाले लोगों के लिए आजादी कोई मायने नहीं रखती और न ही ये लोग तीज-त्योहार मना पा रहे हैं। सीधे शब्दों में कहें तो लॉकडाउन 365 दिन के लिए लागू है। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि दुनिया में क्या चल रहा है, न ही उनके पास इंटरनेट की सुविधा है।
इंटरनेट उनके लिए मायने भी नहीं रखता। टीवी, सूचना का एकमात्र स्रोत है। जिसके माध्यम से उन्हें खबर पता चलती रहती है। इन लोगों को दिन के एक निश्चित समय पर घर छोड़ने की अनुमति दी जाती है, अन्य समय में यहां कर्फ्यू लगाया जाता है।
अब चूंकि कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लागू है, इसलिए इन लोगों पर इसका अधिक प्रभाव नहीं है क्योंकि वे लंबे समय से एक समान जीवन जी रहे हैं। खास बात यह है कि लॉकडाउन के नियम वहां भी लागू किए गए हैं, यही वजह है कि उन्हें अपने घर से बाहर निकलने की भी अनुमति नहीं है।