भारत के इस मंदिर के सामने मौसम विभाग भी है फेल, वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए इसके पीछे का रहस्य

Meteorological Department of India even scientists could not know the secret behind this temple

Meteorological Department of India: भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है। भारत अपने प्राचीन और भव्य मंदिरों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका रहस्य उसकी प्रसिद्धि का मुख्य कारण है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के चमत्कारों के आगे बड़ा से बड़ा आदमी भी नतमस्तक हो चुका है। यहां तक कि वैज्ञानिक भी इस मंदिर के रहस्यों को सुलझा नहीं पाए हैं। तो, चलिये जानते हैं, इस रहस्‍य के बारे में विस्‍तार से।

बारिश आने से पूर्व टपकने लगती है छत

यह मंदिर उत्तर प्रदेश स्थित औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर के भीतरगांव विकासखंड के पास बेहटा नामक गांव में स्थित है, जो बारिश के आने से पहले ही उसकी सटीक भविष्यवाणी करता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर बारिश होने वाली हो तो, संकेत के रूप में इस मंदिर की छत चिलचिलाती धूप में भी टपकने लगती है और बारिश की शुरुआत होते ही इसकी छत से पानी टपकना बंद हो जाता है। यहां तक की ‘पानी टपकने की दर’ से पता चल जाता है कि बारिश कैसी होने वाली है।

यह चमत्कार किसी आम ईमारत या भवन में नहीं बल्कि भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिर में होता है। यह भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिरों में से एक है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां विराजमान हैं। मंदिर के आंगन में भगवान सूर्य और पद्मनाभम की मूर्तियां भी स्थित हैं।

Meteorological Department of India: सात दिन पहले ही टपकने लगती है छत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश होने के 6-7 दिन पहले मंदिर की छत से पानी की बूंदें टपकने लगती हैं। इतना ही नहीं, वो बताते हैं कि जिस आकार की बूंदें टपकती हैं, उसी आधार पर बारिश भी होती है। इसमें हैरान करने वाली बात ये है कि यहां जैसे ही बारिश शुरू होती है, मंदिर की छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है। इस मंदिर को ‘बारिश के मंदिर’ नाम से जाना जाता है।

वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए इसके पीछे का रहस्य

इस मंदिर पर वैज्ञानिको की टीम कई बार शोध कर चुकी है, लेकिन आज तक वो इसके पीछे के रहस्‍य से पर्दा नहीं उठा पाए हैं कि आखिर ये बूंदे आती कहां से है। इस मंदिर का रहस्‍य काफी चौकानें वाला है और आज तक इन बूंदो के पीछे छुपा सच कोई नहीं जान पाया है।

जानिए इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें

बता दें कि इस मंदिर की दीवारें 14 फीट मोटी हैं। जिसकी बनावट बौद्ध मठ की तरह है। इस मंदिर को सम्राट अशोक के शासन काल में बनाए जाने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। तो वहीं मंदिर के बाहर मोर का निशान व चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल में बने होने के अनुमान भी लगाए जाते हैं। लेकिन इसके निर्माण का ठीक-ठीक अनुमान अभी नहीं लग पाया है।

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