Social distancing : दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 50 लाख के पार हो चुकी है। हमें इस वायरस से जूझते हुए काफी समय हो गया है। अब दुनिया के कई देश लंबे समय से चल रहे लॉक डाउन को हटाने की तैयारी कर रहे हैं। भारत भी इसमें शामिल है।
वहीं भारत में अभी लॉकडाउन में कई तरह की रियायतें दी जा रही हैं, लेकिन सामाजिक दूरी का सख्ती से पालन करवाया/करा जा रहा है। लेकिन एक शोध से पता चला है कि अगर हल्की हवा भी चल रही हो, तो छह फीट की सामाजिक दूरी भी वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है।
Social distancing : कण इतनी दूरी तक जा सकते हैं
वर्तमान में, कई देशों में सामाजिक दूरी की मानक दूरी केवल छह फीट है, लेकिन हाल में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि यदि हल्की हवा बह रही है, तो वायरस की बूंदें हवा में 18 फीट तक रह सकती हैं। साइप्रस के निकोसिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि हवा में इस महामारी के वायरस के प्रसार को समझने के लिए, यह समझना आवश्यक है कि जब लोग खांसी करते हैं तो हवा में कण कैसे फैलते हैं।
यह शोध फिजिक्स ऑफ फ्ल्यूड जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं का कहना है कि पांच किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हल्की हवा के दौरान भी, मानव की लार या लार के कण पांच सेकंड में 18 फीट तक जा सकते हैं। शोध के सह-लेखक दिमित्रिस ड्रैककिस का कहना है कि लार की बूंदें अलग-अलग ऊंचाइयों वाले व्यस्कों और बच्चों दोनों पर प्रभाव डाल सकते हैं। छोटी ऊंचाई वाले लोगों के लिए अधिक जोखिम है यदि वे इन लार की बूंदों की जद में आ रहे हैं।
शोध के अनुसार, इंसान की लार- एक जटिल तरल पदार्थ है। यह खांसी के साथ आसपास की हवा में बड़ी मात्रा में आगे तक सफर कर सकता है। कई कारक इसके हवा में सफर को प्रभावित करते हैं। इनमें बूंदों का आकार और संख्या, एक-दूसरे के साथ उनकी अंतरक्रिया, आसपास की हवा में उनका फैलाव या वाष्पीकरण, हवा में गर्मी का संचरण, नमी और तापमान शामिल हैं।