Manikaran: गुस्सा होकर भगवान शिव ने इस स्थान में खोली थी तीसरी आंख, दो गंगाओ का होता है संगम

Manikaran Himachal Pradesh Story of Shiva temple Brhama Ganga and Parvati Ganga

Manikaran: भारत अपने प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है और इनकी खास बात तो ये है कि हर मंदिर के साथ-साथ कोई न कोई रहस्य व पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है जो इन्हें खास व प्रसिद्ध बनाती हैं। इन्हीं में एक है हिमाचल प्रदेश के पर्वती घाटी में स्थित प्रसिद्ध ‘मणिकर्ण’ जो कुल्लू से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसा कहा जाता है। इस स्थान पर गुस्सा होकर भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला था।

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ये है पौराणिक मान्यता

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पौराणिक कथानुसार धार्मिक मान्यता है कि यहां की नदी में नहाते हुए एक बार माता पार्वती के कान के कुंडल की मणि पानी में गिर गई और पाताल लोक में चली गई। ऐसा होने पर भगवान शिव ने अपने गणों को मणि ढूंढने का आदेश दिया। परंतु उनके अथक प्रयास के बाद भी उन्हें कुछ न मिल सका। इस बात से गुस्सा होकर भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। तीसरा नेत्र खुलते ही उनके नेत्रों से नयना देवी प्रकट हुईं। इसलिए, यह जगह नयना देवी की जन्म भूमि मानी जाती है। नयना देवी ने पाताल में जाकर शेषनाग से मणि लौटाने को कहा तो शेषनाग ने भगवान शिव को वह मणि भेंट कर दी। लेकिन वे इतने नाराज हुए कि उन्‍होंने जोर की फुंकार भरी जिससे इस जगह पर गर्म जल की धारा फूटने लगी। तभी से इस जगह का नाम मणिकर्ण पड़ गया। यहां भगवान कृष्ण एवं विष्णु के मंदिर भी हैं। इसके अलावा यहां पास में एक गुरुद्वारा भी है, जहां बड़ी तादाद में हिंदू और सिख समुदाय के लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।

Manikaran: दो गंगाओ का होता है संगम

यहां पार्वती नदी बहती है, जिसके एक ओर शिव मंदिर है तो दूसरी ओर गुरु नानक देव का ऐतहासिक गुरुद्वारा (Manikaran Gurudwara) है। नदी से जुड़े होने के कारण दोनों ही धार्मिक स्थलों का नजारा बहुत ही सुंदर और मनमोहक दिखाई पड़ता है। यहां से कुछ दूरी पर ब्रह्म गंगा और पार्वती गंगा का संगम होता है।

त्वचा के रोगों से मिलता है छुटकारा

ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों को त्वचा रोग या अन्य कोई समस्या होती है, उन्हें यह मौजूद इस गंधकयुक्त कुंड में स्नान करने से लाभ होता है। गुरूद्वारे में जो लंगर बनता है वह भी इसी खौलते पानी से तैयार किया जाता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस गुरुद्वारे में एक साथ लगभग 4000 लोग रुक सकते हैं। 

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